कहानी

कहानी रुबीना की – दूसरा और अंतिम भाग

फैज़ल ने देखा की कल्लू काम पर जाने के लिए तैयार है , कल्लू ने जैसे ही फैज़ल को देखा तो एक दम खुश होता हुआ बोला –
‘ अरे फैज़ल तू??’ आ अंदर आ … ‘
‘ नमस्ते कल्लू भाई ..’ फैज़ल ने कल्लू को नमस्ते किया और अंदर आ गया ।
कल्लू ने चटाई बिछाते हुए कहा – ‘बैठ यार !! अचानक कैसे आना हुआ ? अच्छा रुक तेरे लिए पहले चाय बनाता हूँ ‘
इतना कह कल्लू ने केरोसिन का स्टोब जलाया और चाय का पतीला चढ़ा दिया , थोड़ी देर में चाय फैज़ल को देता हुआ बोला – ‘ ले , पहले चाय पी .. थक गया होगाट्रेन में ‘
चाय ख़त्म करने के बाद फैज़ल ने अपने आने का कारण बताया , कल्लू ने जब सुना की फैज़ल काम की तलाश में आया है तो वह थोडा सोचता हुआ बोला
” देख फैज़ल , काम का तो जुगाड़ हो जायेगा एक दो दिन में मैं अपने मालिक से बात करता हूँ ,तब तक तू नहा धो ले और कपडे बदल ले … खाना बना हुआ रखा है खा के सो जाना मैं शाम को मिलता हूँ” इतना कह कल्लू अपने काम पर चला गया ।
शाम को जब कल्लू वापस आया तो उसने बताया की उसके मालिक के पास डिलिवरी बॉय का काम खाली है अभी । साईकिल से माल छोड़ना और पार्टी से पेमेंट लाना इस काम के लिए अभी जगह खाली है उसकी कंपनी में ।
फैज़ल ने तुरंत कहा ” कल्लू भाई मुझे साईकिल चलानी आती है , मैं यह काम कर लूंगा ‘
” तो ठीक है , तेरी तनख्वाह होगी 2500 रूपये , मैं कल ही बात करता हूँ मालिक से ” कल्लू ने कहा ।
और इसके बाद दोनों खाना खा के सो गए ।

सुबह कल्लू ने फैज़ल का काम अपनी कंपनी में लगवा दिया , फैज़ल मन लगा के काम करता रहा । फैज़ल को काम करते करते पूरा महीना बीत गया था , जब भी फैज़ल को रुबीना की याद आती वह पब्लिक फोन बूथ से गाँव में एक मात्र फोनधारी और फोन बूथ चलाने वाले रहीस मिंया के यंहा फोन कर देता था और रहीस मिंया फैज़ल के घर खबर भिजवा देता था , हाँ इस सुविधा के बदले वे पैसे जरूर लेता था पर बात हो जाती थी । रुबीना और फैज़ल जब भी बात करते कई मिनट तक बात करते रहते ।

चुकी, फैज़ल कड़ी मेहनत करता था इसलिए थक जाता था , कंपनी में कुछ शोहबत ऐसी मिली की अब उसने थकान उतारने के नाम पर शराब भी पीनी शुरू कर दी थी । एक शाम उसने कंपनी में जल्दी काम खत्म होने के कारण अपने नए कंपनी के नए दोस्तों के साथ शराब पी और शराब के नशे में ही उसे रुबीना की याद आई । वह तुरंत कंपनी के फोन से रहीस मिंया के फोन पर फोन लगा दिया और रुबीना को बुलवा लिया ।
” हैलो… रूबी.. मेरी जान ..कइसन हो ? ” फैज़ल के लहजे में लड़खड़ाहट थी
” ठीक हैं.. आज साँझ को कैसे याद आई”रुबीना ने फैज़ल की आवाज़ भांपते हुए कहा
” अरे तेरी याद तो रोज ही आती है रूबी डार्लिंग ” फैज़ल ने शराबी वाले अंदाज़ में कहा
” तो तुमने मुई शराब पी है ? अब यह काम भी शुरू कर दिया ?” रुबीना ने थोडा सख्त लहजे में पूछा
फैज़ल को रुबीना का सख्त लहजा पसन्द नहीं आया और वह भी थोडा कठोर शब्दों में बोला’ हाँ .. पी है … किसी के बाप के पैसे की नहीं पी है अपनी कमाई की पी है ”
” अच्छा !कमाने लगे तो शराब भी शुरू कर दी ? तब तो मुई किसी सौतन के पास भी जाते होंगे ? रुबीना ने गुस्से में पूछा
” पागल है क्या …. मैं किसी औरत के पास नहीं जाता हूँ ” फैज़ल ने धीरे धीरे चढ़ते हुए नशे में कहा
” झूठ मत बोलो!! मैं सब समझती हूँ … सब मर्द एक जैसे ही होते हैं .. हमारे गाँव में भी एक शहर गया था कमाने वंही जा के बस गया अपने बीबी बच्चों को गाँव में छोड़ के ” रुबीना ने सुबकते हुए कहा ।
‘ हरामज़ादी… कह रहा हूँ न की कौनो औरत के जौरे नाही जात .. तब काहे परेशान हो रही हो रो के ?” फैज़ल को जैसे जैसे नशा तेज होता जा रहा था उसका गुस्सा और बढ़ता जा रहा था और बातो में गालियां भी ।
” नाही , जात हो… अब तुम बदल गए हो दिल्ली जाके और हमें भी छोड़ दोगे एक दिन ” रुबीना ने रोते हुए कहा ।
” साली … जब कह रहा हूँ नहीं जाता तब भी बक रही है … हाँ जाता हूँ बोल का कर लेगी ? ” फैज़ल को अब पूरा नशा हो गया था और वह ठीक से बात भी नहीं कर पा रहा था ।
“हम आज ही अपनी अम्मी के पास चले जायेंगे तुम हमको गाली दे रहे हो , और तुम से कभी बोलेंगे भी नहीं “रुबीना ने रोते हुए गुस्से में कहा
” बोलेगी नहीं …. अपनी अम्मी के पास चली … तो जा अपनी अम्मी के पास .. तलाक़ .. तलाक़ .. तलाक़… अब जा अपनी अम्मी के पास ” इतना कह फैज़ल ने फोन जोर से रखा और नशे में धड़ाम से वंही लुडक गया ।

दूसरी तरफ रुबीना ने जब तलाक़ .. तलाक़.. तलाक़ सुना तो मानो उसके पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गई हो … सब कुछ जैसे रुक सा गया हो … जड़वत … घोर सन्नाटा ..रुबीना फोन का रिसीवर हाथ में लिए मूर्ति बन गई थी ।
रहीस मिंया जो की वंही बैठा था उसने सारी बाते सुन ली थी , उसने रुबीना को हिलाया तो रुबीना एक दम मूर्छित होके गिर पड़ी ।
अब सारे गाँव में शोर मच गया था की फैज़ल ने रुबीना को तलाक़ दे दिया ।

इधर जब फैज़ल को सुबह नशा उतरा तो उसे होश आया उस रात की गलती का अहसास हुआ , उसने तुरंत फोन रहीस मिंया के फोन पर किया । इस बार उसकी अम्मी आई बात करने , अम्मी ने उसे खूब भला बुरा कहा और नशे में दी गई तलाक़ वाली बात बताई। फैज़ल को बहुत दुःख हुआ और वह रोने लगा । अम्मी ने उसे फ़ौरन गाँव आने को कहा ।
अगली सुबह फैज़ल गाँव में था ।
फैज़ल ने जब रुबीना की हालात देखी तो वह विचलित हो उठा, रुबीना बीमार सी बिस्तर पर लेटी थी । फैज़ल को अपने पर अपने पर बहुत गुस्सा आ रहा था ।
उसने रुबीना के पास जाके कहा ” रूबी .. रूबी…”
पर रुबीना ने एक नज़र उसकी तरफ देखा और फिर आँख बंद कर के चुप चाप लेटी रही ।
तभी उसके कंधे पर हाथ रखते हुए अम्मी ने कहा
” बेचारी को सदमा लगा है , डॉक्टर ने कहा है एक दो दिन लगेंगे उबरने में ”
फैज़ल आंसुओ भरी आँखे ले के बाहर निकल गया ।
फैज़ल रुबीना का हाथ अपने हाथ में लेके रोने लगा , उसकी अम्मी ने उसे चुप करवाया ।

दो तीन दिन बाद रुबीना सही हुई तो , गाँव में पंचायत बैठी जिसमें की रुबीना के अम्मी अब्बा और उनके रिस्तेदार शामिल थे ।
फैसले के लिए मौलवी साहब को बुलाया गया की फैज़ल के तलाक देने के बाद रुबीना और फैज़ल का क्या होगा ? फैज़ल रुबीना को छोड़ना नहीं चाहता है ।
मौलवी साहब ने बोलना शुरू किया –
एक बार तलाक देने के बाद दुबारा शौहर् और बीबी का निकाह करवाना पड़ता है , इसके लिए पहले बीबी का निकाह किसी और के साथ करना पड़ेगा और उसके बाद जब वह तलाक़ देगा तो दुबारा शौहर अपनी बीबी को अपना सकता है , इस प्रक्रिया को हलाला कहा जाता है । अब रुबीना और फैज़ल का शौहर और बीबी की तरह साथ रहना तभी जायज है जब रुबीना हलाला हो जाये “।

चारो तरफ खुसुर फुसुर होने लगी , सबको खामोश करते हुए फैज़ल के अब्बा ने कहा की –
‘ पर मौलवी साहब , अभी मेरे खानदान में कोई इतना बड़ा बच्चा नहीं है की उसका निकाह रुबीना से करवाया दिया जाए ”
“ह्म्म्म…..इसका भी इलाज है ‘ मौलवी ने रुबीना की तरफ देखते हुए कहा
” क्या मौलवी साहब ? ‘ अब रुबीना के अब्बा ने पूछा
“देखो , मैं मदरसा चलाता हूँ .. कौम की खिदमत करता हूँ … लोगो को दीन पर चलने की बाते समझाता हूँ , तो यह मेरा फर्ज है की कौम की परेशानी को हल करूँ ‘ मौलवी साहब ने कहा तो सब हाँ में हाँ मिलाने लगे ।
” तो ठीक है ! रुबीना का निकाह मुझ से करवा दीजिये ..मैं दो तीन दिन में इसे तलाक दे दूंगा और फिर फैज़ल रुबीना से निकाह कर लेगा ” मौलवी ने लोगो को समझाते हुए कहा

जब मौलवी की बात फैज़ल और रुबीना ने सुनी तो दोनों अवाक् रह रह गए। फैज़ल उठ के कुछ कहना चाहता था पर उसके अब्बा ने उसे चुप रहने का इशारा कर दिया।

“मौलवी साहब , बच्ची को कोई परेशानी तो नहीं होगी ? ‘ रुबीना के पिता ने पूछा
“अरे नहीं ! बस यूँ समझिये की बच्ची अपने घर में ही है … तीन दिन बाद मैं इसे तलाक दे दूंगा और फिर दोनों आराम से निकाह कर लेंगे ” मौलवी ने लोगो को विश्वास में लेते हुए कहा ।आप मेरी बात अकेले में रुबीना से करवाइये मैं समझाता हूँ उसे ” कह के मौलवी ने रुबीना को अपने पास लाने को कहा ।
रुबीना को अकेले में उसने कुछ समझाया जिससे रुबीना ने अपने अब्बा से निकाह के लिएहाँ कह दिया ।

रुबीना के अब्बा ने और फैज़ल के अब्बा ने कुछ बाते एक दूसरे से कीं और फिर दोनों आके मौलवी से बोले -“ठीक है मौलवी साहब …. कल रुबीना का निकाह मुक़र्र कीजिये ”

मौलवी की आँखों में चमक आ गई … और उसके बाद पंचायत समाप्त हो गई ।
अगले दिन रुबीना और मौलवी का निकाह की तैयार पूरी हुई , रुबीना अब भी रोये जा रही थी और फैज़ल गुस्से और दुखो का भाव लिए विचलित । फैज़ल के निकाह की मेहर की रकम वापस कर दी गई थी रुबीना को । मौलवी और रुबीना का निकाह सम्पन्न हुआ ।

रुबीना मौलवी के घर पर आ गई , रुबीना ने यह सोच के मौलवी से निकाह करने को तैयार हो गई थी को वह दो तीन दिन किसी तरह मौलवी के घर रहेगी और फिर उसके बाद मौलवी उसे तलाक़ दे देगा फिर वह फैज़ल के साथ फिर से रह सकेगी । मौलवी पर उसे पूरा भरोसा था क्यों की बचपन में उसी मौलवी के यंहा पढ़ी थी ।

मौलवी की उम्र होगी लगभग 48-50 साल की , अदपकि लंबी दाड़ी जिसमें वह अक्सर मेहँदी लगा के रखता था । भारी शरीर, सांवला रंग , सर के बाल बारीक । मौलवी की शादी हो चुकी थी पर बीबी 4- 5 साल पहले गुजर गई थी , तीन लड़कियां और एक लड़की थी सबकी शादी हो चुकी थी , अब मौलवी मदरसे में ही रह के जिंदगी गुजार रहा था ।पर अब वह अपने पुराने घर में चला गया था , क्यों की रुबीना भी अब उसके साथ थी ।

मौलवी ने जब रुबीना को देखा तो उसके रूप और जवान बदन को देख उस पर फ़िदा हो चुका था , इसे किसी भी कीमत पर अपना बनाना चाहता था इसी लिए उसने रुबीना को हलाला के लिए राजी करा था ।

दिन तो कैसे न कैसे बीत गया , रात में खाना खाके रुबीना अपने कमरे में सोने चली गई । में गेट लगा हुआ था इसलिए रूबिना ने अपने कमरे की सिटकनी नहीं लगाई थी .मौलवी अपने कमरे में चला गया सोने ।
लगभग रात के 11 बजे होंगे , चारो तरफ सन्नाटा छाया हुआ था …रुबीना फैज़ल की यादो में खोई हुई सपने देख रही थी कि अचानक उठ बैठी। उसने अपने पलंग पर मौलवी को बैठे और अपने पैर को सहलाते हुए देखा तो चौंक के पूछा- ” मौलवी साहब आप …”
” हाँ .. मैं आज हमारी सुहाग रात है और हम दोनों अलग अलग सो रहे हैं … भला यह भी कोई बात है ” कहते हुए मौलवी रुबीना के बिलकुल करीब आ गया ।
” पर आपने तो उस दिन कहा था कि आप हमारे पास भी नहीं आएंगे और छुएंगे तक नहीं … दूर हटिये यंहा से ” रुबीना ने गुस्से में अपने से चिपकते हुए मौलवी को हटाते हुए कहा ।
“क्या कह रही है … बावली.. हम दोनों का निकाह हुआ है , अब तुझ पर मेरा हक़ है ” इतना कह के मौलवी ने रुबीना को दबोच लिया और जबरदस्ती अपनी हवस शांत की। फिर निढाल होकर लुढक गया । रीना भी तब तक बेहोश हो चुकी थी। कुछ देर बाद रुबीना को होश आया तो अपनी हालत देखकर वह रोने लगी।

रुबीना को बहुत आत्मग्लानि महसूस हो रही थी ,जिसने आज तक फैज़ल के अलावा अपना जिस्म किसी को छूने तक न दिया हो उसकी इज्जत आज तार तार हुई महसूस हो रही थी । रुबीना को खुद से ही बहुत नफरत सी होने लगी थी ,वह जड़वत थोड़ी देर खड़ी रही .. अचानक तेजी से वह अपने कमरे में गई और चुन्नी उठा ली । मौलवी अभी भी सो रहा था उसने घृणा भरी नजर से उसे देखा और फिर तेजी से बहार आ गई और सीधा मौलवी के कमरे में जो की खाली था उसमें दाखिल हुई । दरवाजा बंद किया और छत में पंखे को लटकाने के लिए बने कुंडे में चुन्नी फंसाई । फंदा बना गले में डाला और एक बार फिर फैज़ल को याद करते हुए झूल गई ….

बस यंही तक थी कहानी …

– केशव( संजय)

संजय कुमार (केशव)

नास्तिक .... क्या यह परिचय काफी नहीं है?