कविता

भावना का बंधन

यह प्यार भावना का बंधन है, कोई समझौता या इकरार नहीं है,

तुम खुल कर मुझसे प्यार करो,. या कह दो मन में प्यार नहीं है

मैं प्यार करूँ, तुम बेवफ़ा रहो ,यह मुझको तो मंज़ूर नहीं है,

या तुम खुल कर इंकार करो, यह खेल मुझे मंज़ूर नहीं है,

मुझसे प्यार और मिलन किसी से, ये तो कोई रीत नहीं है,

महफ़िल में गैरों की बाँहों में झूलो, यह तो सच्ची प्रीत नहीं है,

मेरी हो तुम मेरे जीवन में,  क्यों न खुल कर स्वीकार करो

सिर्फ़ मुहब्बत दिखालाने को मत झूठे वादे बारंबार करो,

न मैं खुद को बदल सका हूँ, न तुम खुद को बदल सकोगे,

कर लो किस्सा ख़त्म यहीं, बस इतना मुझ पर उपकार करो.

यह प्यार भावना का बंधन है, कोई समझौता या इकरार नहीं है,

तुम खुल कर मुझसे प्यार करो,. या कह दो मन में प्यार नहीं है

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845