उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-13: कालेज में पहला दिन

समीर वैसे तो बहुत नये ख्यालातों वाला था पर कालेज में उसका पहला दिन होने के कारण वह कोट पैंट पहनकर कालेज गया।उसे देखकर कुछ लड़के जो फालतू कामों में टाइम पास करते थे कमेंटस् मारने लगे वह अपनी क्लास रूम की तरफ बढ़ा पर कुछ सरारती लड़के उसके पीछे चल रहे थे उनमें से एक ने एख लड़की का दुपटटा खींचा उसने पीछे मुड़कर देखा तो पीछे समीर था उस लड़की ने समीर को चाॅटा मारा और बोली यही सिखाया तुम्हारे माॅ-बाप ने समीर कुछ नहीं बोला चुपचाप क्लास रूम में चले गया।
लेंकचरार आयें सब खड़े हुये लेंकचरार ने सबको बैठने का इसारा किया सब बैठ गये।लेक्चरार ने समीर को खड़ा किया और नाम पूछा तो आस-पास के लड़के उसके कपड़ों को देखकर जोर से बोले जवाहरलाल नेहरू लेक्चरार ने कहा चलो ठीक है बैठ जाओ समीर ने कहा सर मेरा नाम समीर मल्होत्रा है और बैठ गया।
क्लास खत्म होने के बाद सब बाहर आ गये।
कैम्पस में कुछ लड़कियाँ बातें कर रहीं थी उनमें से एक लड़की लड़की जिसका नाम रेखा है वह समीर को देखकर अपनी दोस्त जिसका नाम रेनुका है से बोली-रेनुका यह वही लड़का है ना जिसने तेरा दुपटटा खींचा था रेनुका ने कहा हाॅ।
रेखा ने कहा देख तो कितना सीधा बन रहा है चल इसे मजा चखाते हैं।वो वहाँ गयीं जहाॅ पर समीर था और रेनुका समीर से वोली-समीर मैंने आपको चाॅटा मारा उसके लिये साॅरी मुझे पता नहीं था कि वो आप नहीं कोई और था समीर यह सुनकर चुप रहा रेनुका ने फिर कहा अगर आप बुरा न मानो तो उस लड़के से मेरे नोट्स ला दो और एक लड़के की तरफ इसारा किया जो कालेज के बदमाश लड़को में से एक था।
समीर बोला ठीक है पर उसका नाम क्या है तो रेनुका बोली रामदास जबकि वह लड़का रामदास नाम से बहुत ज्यादा चिड़ता था समीर उसकी तरफ जाने लगा इतने मे वह लड़कियाँ वहा से चली गयीं समीर उस लड़के के पास पहुँचा और बोला रामदास रेनुका जी के नोट्स दे दो यह सुनकर उसका खून खौल गया और वह समीर को पीटने लगा।

दयाल कुशवाह

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