कविता

बाल मजदुरी

अॉख भर आती है
देख उन बच्चो को
जिनके हाथों मे
कलम किताब की जगह
चकला बेलन होता है
फरसा कुदाल लिए
खेतों में नजर आते है
क्यो मजबूर है मॉ -बाप
बच्चो को काम कराने पर
और क्या है उनकी लचारी
जर्जर हो गई दशा इनकी
फिर भी ध्यान नही किसीकी
कैसे मिटाया जाए
यह देश की कुरीती
जिसका नाम है बाल मजदुरी
……..निवेदिता चतुर्वेदी ..

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४