कविता

 माँ

 माँ
माँ तो माँ होती है,
माँ संवेदना है, माँ भावना है
माँ अहसास है,माँ विश्वास है,
“माँ ही जीवन दाता है, माँ ही भाग्य विधाता है, ”
मा का आँचल अरविन्द सा विशाल खिला खिला है,
माँ तो माँ होती है,
हर हाल में उसकी जय है,
जिसे माँ का आशीष मिला है,
स्वर्णमयी किरणों सा घर सजता है ,
जहाँ माँ का साथ है,
जीवन में वही सफल है, जिसके सर पर माँ का हाथ है,
माँ तो माँ होती है,
‘मेरा भारत महान’
अपने भारत की शोभा कितनी प्यारी है,
पर माँ की ममता तो सबके लिए जीवन भर न्यारी है,
प्रेम सहित
परिवार सवारने में माँ का कर्त्वय सर्वश्रेष्ठ है,
बच्चो का जीवन सदा हंस कर बीते, यही माँ का उदेश्य है,
पिता साधन है,
माँ साधक है,
पिता पालक है, माँ पोषक है,
पिता जनक है , माँ जननी है,
पिता कारक है तो माँ करनी है,पर
माँ
माँ तो माँ होती है,
सब दुःख और पीड़ा माँ सहती है,–
फिर भी अपने बच्चो की खातिर
चुप रहती है,
सबसे बड़ा अनजान वही है
जिसे माँ की पहचान नहीं है
फिर कुछ ऐसी भी अभागन अबलायें हैं
जो पुरुषो की हैवानियत का-हो जाती हैं शिकार,
फिर भी पनपते बच्चे से नहीं करती इंकार
उसे भी जन्म देती है , पालती है,
और उसे भी करती है प्यार –क्यों की
माँ
माँ तो माँ होती है,

—जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845