बाल कविता

सेंटा क्लॉज है लगता प्यारा

इंतज़ार हर साल तुम्हारा,
सेंटा क्लॉज है लगता प्यारा।

सुन्दर लाल चमकता चोंगा,
श्वेत वर्फ़ सी प्यारी दाढ़ी।
उपहारों की गठरी कंधे पर,

रेंडियर खींच रहा है गाड़ी।

बच्चों को करता वो प्यार है,
इंतज़ार क्रिशमस का रहता।
खुश होते बच्चे मिलकर के,
इंतज़ार गिफ्ट्स का रहता।

आओ हम सब ख़ुशी मनायें,
क्रिशमस का त्यौहार मनायें।
धर्म जाति का भेद भुला कर,
मिलजुल कर त्यौहार मनायें।

…..कैलाश शर्मा

कैलाश शर्मा

केंद्रीय सचिवालय सेवा एवं सार्वजनिक बैंक में विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य करने के पश्चात सम्प्रति सेवा निवृत. ‘श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद)’ पुस्तक प्रकाशित. ब्लॉग लेखन के अतिरिक्त विभिन्न पत्र/ पत्रिकाओं, काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित. वर्ष के श्रेष्ठ बाल कथा लेखन के लिए ‘तस्लीम परिकल्पना सम्मान – २०११’.

One thought on “सेंटा क्लॉज है लगता प्यारा

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    शर्मा जी ,बाल कविता अच्छी लगी . हम सिख हैं लेकिन हर साल क्रिसमस धूम धाम से मनाते हैं .

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