गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

ये उदासी ये हिज़्र के साये,
जाने क्यों मेरे हिस्से में आये।

चैन मिलता है देख कर तुमको,
तुमने ही प्यार के महल ढाये।

फूल से दूर जबकि हो खुशबू
क्यों भला बागबां न घबराए।

कोई दिलदार तो मिले ऐसा,
चाँद तारे ज़मीं पे जो लाऎ।

कितनी मतलबपरस्त है दुनिया
बात दिल को ये कौन समझाए।

— शुभदा बाजपेयी

2 thoughts on “ग़ज़ल

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    चैन मिलता है देख कर तुमको,
    तुमने ही प्यार के महल ढाये। बहुत खूब .

  • जयनित कुमार मेहता

    बहुत खूब।

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