कविता

कविता

बुझे-बुझे हैं लग रहे
किस बात की कमी है
आखों के नीचे धब्बे
होठों पे ना नमी है
पड करके मोहब्बत में
सडक छाप हो गये
मोहल्ले में है अनबन
और बाप से ठनी है
मिलती हैं धमकियाँ
जानो-माल की
दे रहे हैं घुडकियां
गीदड सियार भी
इस इश्क के मैदान में
चक्कर हुए अजीब
हालत मेरी अब कुछ
फुटबॉल सी बनी है
इस जमाने के डर से
हम बदल ही जाएं क्यूँ
हमने भी ली कसम यह
छोड़ेंगे ना राह यूँ
हारें हैं ना हारेंगे
तोड़ डालेंगे गुरुर
हमारी भी शख्सियत
फौलाद सी बनी है

— कवि संयम

कवि संयम

नाम - रवी पांडेय 'संयम' साहित्यिक नाम - कवि संयम पिता - श्री गंणेश शंकर पांडेय माता - श्रीमती सोना पांडेय जन्म तिथि - 5-7-1988 शिक्षा - एमए (राजनीतिशास्त्र ) , बीएड पता - जिला-बस्ती, उत्तरप्रदेश संपर्कसूत्र – 09984035709 उपलब्धि - लेखन क्षेत्र में नवोदित (फेसबुक मंच जैसे - कविता लोक ,युवा उत्कर्ष मंच , अधुरा मुक्तक मंचो से सम्मानित) रूचि - कलम साधना एवं समाज सेवा