क्षणिका

नम्रता

झुकते गये निभाने के लिये हर रिश्ता
सुना था फल झुकी हुई डालियों पर लगते हैं
लोगों ने हमारे झुकने को
समझ लिया हमारी कमजोरी
जो भी गुज़रा पास से हमारे
पत्थर मार कर आगे बढ़ गया…..

— रमा शर्मा

रमा शर्मा

लेखिका, अध्यापिका, कुकिंग टीचर, तीन कविता संग्रह और एक सांझा लघू कथा संग्रह आ चुके है तीन कविता संग्रहो की संपादिका तीन पत्रिकाओ की प्रवासी संपादिका कविता, लेख , कहानी छपते रहते हैं सह संपादक 'जय विजय'