कुण्डली/छंदपद्य साहित्य

दूर्मिल सवैया (छन्द)

पल में उमड़ी मन में उमड़ी, सबके दिल को पहचान गई।
जग जीत गई मन डोल उठा रस प्रीति लसे वह आन गई।
नभ से उतरी जग में उमड़ी, जग में सबके मन भाय गई।
सबके मन में सबके तन में, रस प्रेमसुधा बरसाय गई॥१॥

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दिल में अब याद सतावत है तुमसा नहि नैन दिखावत है।
नहि प्रेम पिया परिचावत हो मनमा यह रोग लगावत है ।
नहि प्रेमहि बात सुहात मना बिन चातक चाह जतावत है।
अब चैन नहीं मन भावत है बिन साथ सखा जिय लावत है॥२॥

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हर रोज हुआ लुट-पाट यहाँ , करते मरते रहते सब हैं।
करते सब शोर-शराब यहाँ , पर चैन गवा घुमते सब हैं।
नहि आवत है सब लोग यहाँ, घुमते फिरते चलते सब हैं।
लुट-पाट छकावत होत यहाँ,सबको मिलके फिरते सब हैं॥३॥
____________________रमेश कुमार सिंह /२८-०१-२०१६

रमेश कुमार सिंह 'रुद्र'

जीवन वृत्त-: रमेश कुमार सिंह "रुद्र"  ✏पिता- श्री ज्ञानी सिंह, माता - श्रीमती सुघरा देवी।     पत्नि- पूनम देवी, पुत्र-पलक यादव एवं ईशान सिंह ✏वंश- यदुवंशी ✏जन्मतिथि- फरवरी 1985 ✏मुख्य पेशा - माध्यमिक शिक्षक ( हाईस्कूल बिहार सरकार वर्तमान में कार्यरत सर्वोदय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरैया चेनारी सासाराम रोहतास-821108) ✏शिक्षा- एम. ए. अर्थशास्त्र एवं हिन्दी, बी. एड. ✏ साहित्य सेवा- साहित्य लेखन के लिए प्रेरित करना।      सह सम्पादक "साहित्य धरोहर" अवध मगध साहित्य मंच (हिन्दी) राष्ट्रीय सचिव - राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन मध्यप्रदेश,      प्रदेश प्रभारी(बिहार) - साहित्य सरोज पत्रिका एवं भारत भर के विभिन्न पत्रिकाओं, साहित्यक संस्थाओं में सदस्यता प्राप्त। प्रधानमंत्री - बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन इकाई सासाराम रोहतास ✏समाज सेवा - अध्यक्ष, शिक्षक न्याय मोर्चा संघ इकाई प्रखंड चेनारी जिला रोहतास सासाराम बिहार ✏गृहपता- ग्राम-कान्हपुर,पोस्ट- कर्मनाशा, थाना -दुर्गावती,जनपद-कैमूर पिन कोड-821105 ✏राज्य- बिहार ✏मोबाइल - 9572289410 /9955999098 ✏ मेल आई- rameshpunam76@gmail.com                  rameshpoonam95@gmail.com ✏लेखन मुख्य विधा- छन्दमुक्त एवं छन्दमय काव्य,नई कविता, हाइकु, गद्य लेखन। ✏प्रकाशित रचनाएँ- देशभर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में एवं  साझा संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित। लगभग 600 रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं तथा 50 साझा संग्रहों एवं तमाम साहित्यिक वेब पर रचनाये प्रकाशित। ✏साहित्य में पहला कदम- वैसे 2002 से ही, पूर्णरूप से दिसम्बर 2014 से। ✏ प्राप्त सम्मान विवरण -: भारत के विभिन्न साहित्यिक / सामाजिक संस्थाओं से  125 सम्मान/पुरस्कार प्राप्त। ✏ रूचि -- पढाने केसाथ- साथ लेखन क्षेत्र में भी है।जो बातें मेरे हृदय से गुजर कर मानसिक पटल से होते हुए पन्नों पर आकर ठहर जाती है। बस यही है मेरी लेखनी।कविता,कहानी,हिन्दी गद्य लेखन इत्यादि। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आदरणीय मित्र मेरे अन्य वेबसाईट एवं लिंक--- www.rameshpoonam.wordpress.com http://yadgarpal.blogspot.in http://akankshaye.blogspot.in http://gadypadysangam.blogspot.in http://shabdanagari.in/Website/nawaunkur/Index https://jayvijay.co/author/rameshkumarsing ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आपका सुझाव ,सलाह मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत है ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

9 thoughts on “दूर्मिल सवैया (छन्द)

  • विजय कुमार सिंघल

    आपने सुंदर सवैये रचने की सफल कोशिश की है। बधाई !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    हर रोज हुआ लुट-पाट यहाँ , करते मरते रहते सब हैं।

    करते सब शोर-शराब यहाँ , पर चैन गवा घुमते सब हैं। बहुत अच्छा .

  • नीतू सिंह

    बढियाँ

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाहह लाजवाब सुंदर सृजन के लिए बधाई
    ========================
    करें साहित्य का सम्मान

    अन्य मित्रों की रचनाओं पर दें ध्यान ,

    अपनी उत्साहित प्रतिक्रिया से

    बढ़ाएँ साहित्य का मान —

    बृहद ह्रदय कवियों की यही रही पहचान /

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