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शब्द ज्ञान

ताप की तीव्रता से दूर सड़क या मरुस्थल में जल का आभास होने की घटना को मृगमरीचिका कहते हैं।

पिता सुंड और माता ताड़का के पुत्र मारीच पर रावण की कृपा दृष्टि थी। वो भ्रम पैदा करने की कला में निपुण था और रावण ने सीता हरण की योजना को सफल बनाने के लिये मारीच की इसी कला का प्रयोग कर राम और लक्ष्मण को सीता से दूर किया था। मारीच ने स्वर्ण मृग का रूप धारण कर सीता को भ्रमित किया और राम को अपने आखेट के लिये विवश किया था।

ताप तरंगों से दूर पर पानी का भ्रम होता है। इस घटना का नाम मृगमरीचिका संभवतः इसी ऐतिहासिक प्रकरण से आया है।

मनोज पाण्डेय 'होश'

फैजाबाद में जन्मे । पढ़ाई आदि के लिये कानपुर तक दौड़ लगायी। एक 'ऐं वैं' की डिग्री अर्थ शास्त्र में और एक बचकानी डिग्री विधि में बमुश्किल हासिल की। पहले रक्षा मंत्रालय और फिर पंजाब नैशनल बैंक में अपने उच्चाधिकारियों को दुःखी करने के बाद 'साठा तो पाठा' की कहावत चरितार्थ करते हुए जब जरा चाकरी का सलीका आया तो निकाल बाहर कर दिये गये, अर्थात सेवा से बइज़्ज़त बरी कर दिये गये। अभिव्यक्ति के नित नये प्रयोग करना अपना शौक है जिसके चलते 'अंट-शंट' लेखन में महारत प्राप्त कर सका हूँ।

One thought on “शब्द ज्ञान

  • हो सकता है ,यह ही सच हो .

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