लघुकथा

तिहराया इतिहास

“तुम अमेरिका में बसने का सोच रहे हो क्या ?” एकलौते बेटे ने अपने अमेरिका में नौकरी होने की बात फोन पर अपने पिता को जब बताई , तो पिता ने पूछा।

“अभी तो नौकरी करने जा रहा हूँ। बसने की बात अभी से कोई कैसे कह सकता है।”

“जो नौकरी करने एक बार चले गये ,वे लौट कर नहीं आ पाते हैं।”

“आप ऐसा कैसे बोल सकते हैं ? जो विदेश नौकरी करने जाता है वो लौट कर अपने देश नहीं आता है।”

“बहुत लोगों को जानता हूँ ,जो देश का राग अलापते रहे लेकिन जब तक देश में रहे तभी तक। जब विदेश गये तो बोल कर गये ,बस कुछ सालों के लिए जा रहा हूँ। यूँ गया ,पलक झपकते यूँ आया। लेकिन वापस कभी नहीं आये।”

“उनलोगों से मेरी तुलना आप कैसे कर सकते हैं ,जो अपने कही बातों पर टिक नहीं पाते हैं ?”

“अभी गया भी नहीं अमेरिका बेटा ,आप अभी से निराशाजनक बातें करने लगे। ऐसा क्यूँ सोच रहे हैं कि अन्य लोगों की तरह, हमारा बेटा भी विदेश से लौट कर नहीं आयेगा। … नहीं भी आया तो कौन सी नई बात होगी हमारे घर में ! दादा ससुर जी गाँव में घर बनाये तो ससुर जी दुसरे शहर में घर बना कर रहे , हमलोग राजधानी में घर बना कर रह रहे हैं । हमलोग का बेटा दुसरे राज्य में घर बना कर बसने वाला था , वहाँ घर खरीद भी चुका था । हमलोगों को या तो अपना राज्य छोड़ कर दुसरे राज्य में उसके घर में पनाह लेना होता या विदेश में बात तो एक ही है … और एक बात “बच्चे बड़ों से Home Sicknesses अपनाते हैं |” माता की बात सुन पिता निरुत्तर रहे ।

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ