गीतिका/ग़ज़ल

“गीतिका”

मापनी – २१२२ १२१२ २२ , समान्त – आली , पदांत – है

हिल रही है यह दिया ज़ोरों से

आँधियाँ किसके घरों वाली है

जल उठे दीपक लिए रोशनी

लौ हिला देती निशा काली है॥

कल जलेंगी दीप की नवअवली

शाम की दियरी शमा आली है॥

फूटते हैं जलकर पटाखे भी

पर्व प्रकाश लिए खिली लाली है॥

साफ सुथरे आँगन लिए चाहत

हाथ को मिलती खुशी ताली है॥

विजय की गाथा निशानी आभा

साथ लक्ष्मी रूप घर वाली है॥

बढ़ न जा तम स्वस्थ रहे काया

पूनम जस रात अमावस खाली है॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ