गीतिका/ग़ज़ल

इस शराफत में इस सदाकत में

इस शराफत में इस सदाकत में

हम लुटे बारहा मुहब्बत में

 

हम रहे दिल्ली या के सूरत में

साफ़गोई रहेगी सीरत में

 

सिर्फ वादों का खेल जारी है

काम होता नहीं सियासत में

 

क़त्ल कर दे या बख्श दे हमको

आ गए आपकी रियासत में

 

पत्थरों को पिघलते देखा है

हमने यारों बहुत इबादत में

 

उन दियों को बुझा सके न कोई

जो हवाओं की हो हिफाज़त में

 

कैसे अपना उन्हें कहे ‘माही’

काम आये न जो मुसीबत में

 

 

माही

जयपुर / 8511037804

महेश कुमार कुलदीप

स्नातकोत्तर शिक्षक-हिन्दी केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-3, ओ.एन.जी.सी., सूरत (गुजरात)-394518 निवासी-- अमरसर, जिला-जयपुर, राजस्थान-303601 फोन नंबर-8511037804