गीत/नवगीत

गीत

चंचल मन की लहरों पर, एक चेहरा आता जाता है
ओझल न हो जाये ये चेहरा मन मेरा घबराता है।

प्रीत से उसने प्रीत जगाई ,मेरे आवारा से मन में
हुआ फिर कुछ ऐसा कि , बदल गया सब जीवन में
उसके हर अल्फाज पर ये मन खो सा जाता है
ओझल न हो जाये….

वो अल्हड सी सावन के झूलो संग मस्ती करती है
कभी झगड़ती सखियो से कभी जोर से हसती है
उसकी हर नादानी पर,मन उस और ही बढ़ता जाता है
ओझल न हो जाये ,,,

कुमकुम मेहँदी चूड़ी कंगन ,श्रृंगार वो करती है
पायल की झंकार सग वो ढेरो बाते करती है
उसकी मेहँदी मेरी खातिर, मन सोच सोच इतराता है
ओझल न हो जाये,,,

चुनर ओढ़े लाल ख्वावो में वो जब आती है
जाते जाते न जाने कितनी यादे दे जाती है
उसके गजरे की खुशबु पर, मन अटक सा जाता है
ओझल न हो ,,,

दीपिका गुप्ता ”कोयल”

दीपिका गुप्ता 'कोयल'

खिरकिया, जिला-हरदा (म.प्र.) email: koyalgupta.dg@gmail.com