राजनीति

भारत को यतीमखाना बनाने की कोशिश

बिगत कुछ दिनों से रोहिंग्या मुसलमान के मुद्दे पर भारत की राजनीति गरमा गई है जैसे यह मुद्दा म्यामार का न होकर भारत का मुद्दा है. चीन पाकिस्तान बंगलादेश जो इससे ज्यादे करीब है बिलकुल नहिकार कर अपना पल्ला झाड लिए है. वहा कोई बहस नहीं हो रहा है स्वयं म्यामार में भी उतना बहस नहीं हो रहा है जितना भारत में हो रहा है. भारत को यतीमखाना बनाने की कोशिश हो रही है , यद्यपि इसके पहले भारत एक बार यतीमखाना बन चुका है. फिर वही साजिशे शुरू हो गई है जो बंटवारे के समय हुई थी और वही साजिशकर्ता के अंश आज भी है जो बंटवारे के समय थे. कितने शातिर दिमाग वाले थे वे लोग कि राष्ट्र की कीमत पर ६० साल खुद तो शासन किये ही और आनेवाले सरकारों के गले में एक हड्डी भी फंसा दिए. देश को खंड खंड करने का ताना बाना बुन दिए. यद्यपि प्र म मोदी अपने विवेक और सख्त रवैये से उस षड्यंत्र को तोड़ने का पूरा प्रयास कर रहे है और काफी हद तक सफलता भी पा लिए है लेकिन उनके राह में आज भी बहुत दुश्वारिया है. यह दुश्वारिया इन्हें चीन पाकिस्तान या म्यामार से नहीं अपने ही देश के न्यस्त लोगो से मिल रही है. न्यास्तो का एक बहुत बड़ा रैकेट आज देश में मौजूद है जो उस त्रासदी को भी अपने हित में भुनाने में लगा है जिसे म्यामार सरकार ने नहीं खुद म्यामार के अतिवादियो ने ही पैदा किया है. लोकतंत्र की सूरत तो यहाँ जाती धर्म के नाम पर पहले से ही बहुत बिगड़ी हुई है लेकिन उसे और बिगाड़ने का प्रयास लोगो को अच्छी तरह समझ में आ रहा है , लोग भले अपने जातीय धार्मिक प्रतिबद्धाओ के कारण वोट कही भी दे / आज सारे टी वि चैनलों पर रोहंगिया छाए हुए है , उनका दुर्दशाग्रस्त तस्वीर दिखाकर भोले भाले भारतीय जनमानस के भावनाओं को उभारने की कोशिश हो रही है जबकि सोमालिया यमन नाइजीरिया के शरणार्थियो की दशा इनसे भी भयावह है / कैसे कैसे तर्क दिए जा रहे है , जो लोग बन्दे मातरम कहने से परहेज करते है वही देश को बसुधैव कुटुम्बकम की याद दिला रहे है /कोई कहता है की अगर ए हिन्दू होते तो भारत इन्हें स्वीकार कर लेता ! भाजपा प्रवक्ता पता नहीं क्यों इसपर लिपा-पोती कर रहे है है , उन्हें दृढ़ता और बड़े स्पष्ट शब्दों में कहना चाहिए की हां वह मेरा फर्ज बनाता / क्योकि इसाई प्रताड़ित होगा तो उसे इसाई देश ही सहारा देंगे , यहूदी प्रताडि होगा तो उसे इसराइल ही सहारा देगा , फिर प्रताड़ित हिन्दुओ को सहारा देकर भारत कौन सी बुराई करेगा / बेशर्म तर्कों का जवाब बना किसी लाग- लपेट के देना चाहिए /

राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

रिटायर्ड उत्तर प्रदेश परिवहन निगम वाराणसी शिक्षा इंटरमीडिएट यू पी बोर्ड मोबाइल न. 9936759104

One thought on “भारत को यतीमखाना बनाने की कोशिश

  • राजकुमार कांदु

    आदरणीय पांडेय जी ! बिलकुल सही कहा है आपने । अब सरकारों को सख्त रवैया अपनाकर दो टूक कह देना चाहिए ‘ बस ! अब और नहीं ! सरकार की थोड़ी भी कमजोरी देश के किये बहुत घातक होगा ।

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