Month: September 2017

बाल कविता

बाल कविता – चुन्नू मुन्नू

चुन्नू मुन्नू पढ़ने जाते रोज़ रोज़ वे उधम मचाते मम्मी पापा जब समझाते सुन कर भूल दुबारा जाते एक दिन एक सिपाही आया मुन्नू को तब बहुत डराया चुन्नू उससे अब घबराया उसने फिर न उधम मचाया — भारत विनय

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पुस्तक समीक्षा

व्यंग्य विधा की वेधशाला है ‘अट्टहास’#(पत्रिका समीक्षा)

आज के वेब या अनलाइन युग में व्यंग्य पत्रिका का प्रिंट प्रकाशन काफी जोखिम भरा दुर्लभ काम है। किन्तु विगत

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सामाजिक

लेख– उच्च शिक्षा के बिगड़ते भविष्य को देखते हुए लागू हो पोर्टिबिलिटी सेवा

आज एक बड़ी घटना बाज़ार का हिस्सा बनती जा रहीं है। वह है, पोर्टिबिलिटी। मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी, बैंक पोर्टिबिलिटी। क्या

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