सीमा –
“माँ! ऐसे गुमसुम बाहर क्यों बैठी हैं ? चलिए अंदर, टीवी पर आपका पसंदीदा नाटक आ रहा है |” “क्या
Read Moreबात बात पर गाली देते , एसा चढ़ा बुखार है ! राजनीति में आम हो गया , कहते इसे
Read Moreआसमान में उड़ने वालो आसमान में ठिकाना नहीं होता आसमान में आशियाना नहीं होता आसमान होता ही कहाँ है ??
Read Moreचाय की थी चाहत गुलशन खिला दिया सैर को निकले थे जबरन पिला दिया उड़ती हुई गुबार दिखी दो गिलास
Read Moreलघुकथा सुनयना रोज-रोज के खिटखिट से तंग आ चुकी थी, झल्लाकर चीख पड़ी ससुराल के वाहियात ताने सुन- सुनकर। आखिर
Read Moreमिला कर हाथ, सर्व सखा जयकार करें। रहें जब साथ, मानव सा हुक्कार करें।। यही मम देश, भारत है मिल
Read Moreरुख़सारों को लटें चूमती , इतराये हो फिर से ! दर्पण में प्रतिबिम्ब निहारा , शरमाये हो फिर से !!
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