बाल कविता

विज्ञान-कविता – मिलता इनसे बहुत आराम

पैदल चलने में हुई मुश्किल,
मैकमिलन ले आए साइकिल.

दूर-दूर करने को सफर,
मोटरकार ले पहुंचे डैम्बलर.

लगी अभी भी ठेलमठेल,
स्टीफेंसन लाए रेल.

पानी में चलने की ठान,
फुल्टन ले आए जलयान.

नभ में भरने लंबी उड़ान,
राइट बंधु लाए विमान.

मन बहलाए सबका कौन,
क्लाइंडर का है ग्रामोफोन.

‘हलो हलो क्यों बैठे मौन
ग्राह्मबैल का बोले टेलीफोन.

जब जी चहे दिल बहलाओ,
मारकोनी का रेडियो चलाओ.

करने बहुत मनोरंजन,
सिनेमा लाए एडीसन.

करने को समाचार पेश,
गटनबर्ग ले आए प्रैस.

पंखे, स्कूटर, टेपरिकॉर्डर,
टी.व्ही., ट्रक, जीप ट्रैक्टर.

तरह-तरह का देते काम,
मिलता इनसे बहुत आराम.

आराम देने वाले वैज्ञानिक आविष्कार और उनके आविष्कारकों के नाम

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “विज्ञान-कविता – मिलता इनसे बहुत आराम

  • लीला तिवानी

    विज्ञान के अनेक आविष्कार हमें बहुत आराम देते हैं, पर हमें उनका गुलाम नहीं होना चाहिए. सोच-समझकर उनका प्रयोग करना चाहिए, ताकि न तो हमारे स्वास्थ्य को हानि पहुंचे न देश-समाज को, साथ पर्यावरण भी सुरक्षित रहे.

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