सदाबहार काव्यालय-25
गीत मन के दीप जला दे भगवन दीप बहुत-से जला चुकी हूं, हुआ न दूर अंधेरा, जीवन बीत
Read Moreगीत मन के दीप जला दे भगवन दीप बहुत-से जला चुकी हूं, हुआ न दूर अंधेरा, जीवन बीत
Read Moreहमसे है धरती की रौनक, हम धरती की शान हैं हम भारत के नन्हे सेवक, भारत देश महान है-
Read Moreहट गई लाल बत्ती नेताजी की कार से तो हुए बहुत निराश जायेंगे ससुराल तो कैसे पड़ेगा रोब उनकी साली
Read Moreक्या आती है तुम्हें सपनों के लिए खरीदनी कोई उम्मीद क्या तुमने लगाई है किसी सपने को सोफियाई क्रीम नहीं
Read Moreसमय समय की बात है शायद यही तो ऋतुओं की सौगात है। गर्मी जाड़ा और बरसात हमारे साथ साथ है
Read Moreराधा मधुबन तेरा आना, रोज रोज का नया बहाना बोल सखी कैसा याराना, बैरी मुरली राग बजाना।। बस कर अब
Read Moreतो फिर क्यों लौटा रही हो क़िताब, वह ख़त? और जिक्र करती हो भूल जाने की। किये गए समस्त पूर्व
Read Moreकिसी देश में अगर सपने बेचे जाते हैं। तो शायद वह देश हमारा अपना है। राजनीति सपनों को संजोने की
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