कविता

मातृशक्ति को नमन(महिला दिवस विशेष)

“नमन”

“एक तेरे होने से ही,
महका-महका मैं करता हूँ ।

भाग दौड़ दिन भर करके भी,
एक याद रुख- घर करता हूँ।

बंधा हुआ हूँ नेह -ड़ोर से,
बंधी-पतंग हो जैसे ड़ोर से।

दिन भर कितना व्यस्त तुम्हारा,
कितना-समर्पण;कितना-सहारा।

त्याग,सेवा कि प्रतिमूर्ति हो,
जहाँ कमी है क्षतिपूर्ति हो।

एक तेरे होना; रौनक- घर में है,
एक तेरा होना; घर- रौनक में है।

प्रेम लुटाती कही बहन-बन,
कही गा रही लौरी -प्यारी।

कही सहचरी बन जीवन में।
हँसी ख़ुशी सब घोले जा रही।

कितना है मुश्किल जीवन यह,
कितने ही संघर्ष यहाँ पर!!!

कितनी कठिन है राह तुम्हारी,
फिर भी कभी न हिम्मत हारी।

जब जब भी इतिहास उठता;
बार बार गर्वित हो जाता ।

मिला न होता स्नेह तुम्हारा,
जीवन का नही ठोर किनारा।

हे अगणित उपकार तुम्हारें,
याद उन्हें कर वंदन करता।

हे मातृशक्ति है,
हे शक्ति स्वरूपा,
बार बार मैं नमन करता।

“धाकड़” हरीश
स्वरूपगंज,छोटीसादड़ी (राज°)

हरीश कुमार धाकड़

गांव पोस्ट स्वरूपगंज, तहसील-छोटीसादड़ी, जिला-प्रतापगढ़ (राजस्थान)