वो जादुई आँखें भुलाए नहीं भूलती !
वो जादुई आँखें भूलाये नहीं भूलती ! वो अल्हड़ सी बातें वो न खत्म होती रातें क्या कशिश थी उनमें
Read Moreवो जादुई आँखें भूलाये नहीं भूलती ! वो अल्हड़ सी बातें वो न खत्म होती रातें क्या कशिश थी उनमें
Read Moreजी तो करता है कि लाज शरम हया सब कुछ छोड़कर पोखरे में जाकर कूद पड़ूँ और पल्थी मारकर उसकी
Read Moreशिल्प विधान –चौपाई +गुरु लघु (16+3=19) अंत में यति गोकुल गलियाँ मोहन खेलें रास। बंसी बाजे मधुवन कोकिल वास॥ दूर
Read Moreतुम्हारी आँखे मुझ से कुछ बोलती है जाने अनजाने राज खोलती है नज़रे टकराकर जब झुक जाती है बिना कुछ
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