गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – मोहब्बत

फूल सी ज़िन्दगानी हुई,
जब मोहब्बत सुहानी हुई।

जिन्दगी ठहरी ठहरी सि थी
आप आए रवानी हुई ।

आइना नाज़ करने लगा
आपकी मेहरबानी हुई।

हम सनम के लिए मिट गए
ये खबर क्या पुरानी हुई??

अश्क अब बह रहे रात दिन
इश्क की ये निशानी हुई ।

बेवफ़ाई का आलम है ये।
हम मिले ये कहानी हुई।

हम जिसे समझे उल्फत अनु
जिस्म की खींचतानी हुई।

अनुपमा दीक्षित मयंक

अनुपमा दीक्षित भारद्वाज

नाम - अनुपमा दीक्षित भारद्वाज पिता - जय प्रकाश दीक्षित पता - एल.आइ.जी. ७२७ सेक्टर डी कालिन्दी बिहार जिला - आगरा उ.प्र. पिन - २८२००६ जन्म तिथि - ०९/०४/१९९२ मो.- ७५३५०९४११९ सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन छन्दयुक्त एवं छन्दबद्ध रचनाएं देश विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रो एवं पत्रिकाओ मे रचनाएं प्रकाशित। शिक्षा - परास्नातक ( बीज विग्यान एवं प्रोद्योगिकी ) बी. एड ईमेल - adixit973@gmail.com