#लोकतंत्र_ही_भीडतंत्र
जन मानस के अरमानों पर, जब भी चोट लगी है। न्याय दिलाने वाले ह्रदय में, जब भी खोट जगी है।
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Read Moreलोकसभा में हर मर्तबा अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का कतई मक़सद यह नहीं हो सकता, कि यह सरकार गिराने की
Read Moreइत देखूंँ परिवार या, उत देखूँ मै देश ! जीवन के बाजार मे,ऐसा फँसा रमेश ! ! पिछड़ेपन की देश
Read Moreहिय से निकली एक अरज है,हिय से ही स्वीकार करो पल रही यदि कोख में कन्या,मत कुंठित व्यवहार करो ईश्वर
Read Moreद्वेष मुक्त हो मानव चेतन, ज्योतिर्मय संसार बने कर्मों की हो ऐसी श्रेणी, जो जीवन आधार बने नव ऊर्जा से
Read Moreएहसास हैं तुझसे, लफ़्ज़ों के जाल हैं तेरे रूह मेरी महकी है नाम से तेरे हमदम कहूँ या कह दूँ
Read Moreआज विजय दिवस की बेला है, हम इसकी खुशी मनाएंगे, इससे पहले हम फिर खुद में, कुछ साहस और जुटाएंगे.
Read Moreचैलेंज की कोई सीमा नहीं होती. किसी भी उम्र का व्यक्ति किसी भी उम्र के व्यक्ति को चैलेंज दे सकता
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