कविता

बौद्ध बनना आसान है

बौद्ध बनना आसान है
बुद्ध बनना आसान नही

गृह त्यागना आसान है
गृहिणी त्यागना आसान नही

पुत्र त्यागना आसान है
पुत्रमोह त्यागना आसान नही

ज्ञान पाना आसान है
महापरिनिर्वाण पाना आसान नही

तप करना आसान है
तपोभूमि का मान रखना आसान नही

अतिथि बनना आसान है
आतिथ्य स्वीकारना आसान नही

भिक्षा माँगना आसान है
भिक्षाटन से प्राप्त भोजन को स्वीकारना आसान नही

डाकू अंगुलिमाल बनना आसान है
भटके को सन्मार्ग पर लाना आसान नही

आम्रपाली होना आसान है
देशप्रेम पर स्वप्रेम न्यौछावर करना आसान नही

आम्रपाली का आतिथ्य स्वीकारना आसान है
अनुयायियों के विश्वास को बनाए रखना आसान नही

चुन्द द्वारा प्रदत्त माँस को भिक्षापात्र में ग्रहण करना आसान है
उसे निवाले के रूप में ग्रहण करना आसान नही

बौद्ध बनना आसान है
बुद्ध बनना आसान नही

कन्हैया सिंह “कान्हा”
नवादा, छपरा, बिहार

कन्हैया सिंह 'कान्हा'

नवादा, छपरा, बिहार ईमेल- skanhaiya172@gmail.com