नारी पर दोहे
नारी पर दोहे — दुष्ट चक्षुओं से बचने को ,परदा करती नारि। नारी सुलभ संकोच ही , काफी इसे सँभारि।।
Read Moreनारी पर दोहे — दुष्ट चक्षुओं से बचने को ,परदा करती नारि। नारी सुलभ संकोच ही , काफी इसे सँभारि।।
Read Moreमैं बेटी हूँ , मैं दुहिता हूँ , मैं इस दुनिया में आयी हूँ , मै हूँ रचना परमेश्वर की
Read Moreदिवाली गुरुपर्व ईद क्रिसमस सब खुशियों के हैं त्यौहार. सबको गले लगाकर झूमो, मिल कर गायें नाचें यार. हम सब
Read Moreलफ्फाज़ी होती रही, हुई तरक़्क़ी सर्द। समझ नहीं ये पा रहे, सत्ता के हमदर्द। अबलाओं पर ज़ुल्म कर, बनते हैं
Read Moreभारतीय संस्कृति में पर्व ओर त्यौहार का बड़ा महत्व है।प्रत्येक पर्व एक संदेश लेकर आता है। भाई दूज का त्यौहार
Read Moreप्रेम, दया, करुणा सभी, मानव के श्रृंगार। मिल-जुलकर जो रह गये, हो जाये उद्धार। जीवन का दर्शन यही, यही समूचा
Read Moreढूंढ़ने हम रोशनी को चल दिये। मेरे अरमां हाथों से कुचल दिए।। कंटकों से थी भरी मंजिल मेरी। पर वहीं
Read Moreमेरे पास उदासी बैठी है सुबह से बातें कर रही है ताने मारती मैं मुँह लटकाए सुन रहा हूँ झेल
Read Moreकहा दादी से सोनू मोनू ने सुनाओ हमें कोई कहानी, आज ना देखेंगे कार्टून हम सुननी है हमें परी की
Read More