कविता

भोजपुरी

बिहार है मुख्य भाषा

भिखारी ठाकुर की धूरी

फूहड़ता के दलदल में

फंस गई है अपनी भोजपूरी

थी भोजपूरी संगीत मधुर

जो घर घर गाई जाती थी

भोजपुरी में मां गंगा को

चुनरी चढा़ई जाती थी

भोजपूरी संगीत में डूबा

था हमारा पूरा राज्य

चरम पर थी लोकप्रियता

दिलों पे गहरा था साम्राज्य

बने गजब थे कीर्तिमान

जब आई थी नदिया के पार

बस चंद नए गानेवालों ने

कर डाला है बंटाधार

वीर कुंवर के धरती की

अभिलाषा है भोजपूरी

बिहार में अविरल सरिता जैसी

दिव्य भाषा है भोजपूरी

यह भाषा मधुरता में

सब भाषाओं की सिरमौर

इसके जैसी मिठास लिए

न थी न है न होगी कोई और

बस झूठी लोकप्रियता के चलते

इसको क्यों गंदा कर डाला

इसे कहने सुनने वालों को

क्यों शर्मिंदा कर डाला

गानेवाले मशहूर हुए

पर भोजपूरी है हार रही

जन जन की मीठी भाषा

सीने पर मुक्का मार रही

जरा लगे इस पर लगाम

कि भाषा का सम्मान रहे

भोजपुरी कहने सुनने में

लोगों का रुझान रहे

बस लोकप्रियता ही नहीं

इंसानियत भी समझो

अपनी इज्जत जैसी ही

औरों की इज्जत भी समझो

विक्रम कुमार

 

हमारी अपनी भाषा भोजपुरी को अश्लीलता से मुक्त करने की कडी़ में एक छोटा सा योगदान ।

विक्रम कुमार

बी. कॉम. ग्राम - मनोरा पोस्ट-बीबीपुर जिला- वैशाली बिहार-844111 मोबाईल नंबर-9709340990, 6200597103