लघुकथा – जीने की वजह
सुबह वृद्धाश्रम पहुँच कर सारी कार्यवाही पूरी कर बेटा बहू जाने लगे तो हतप्रभ सा पोता बोला माँ दादाजी को
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Read Moreदर्शक दीर्घा में बैठे हुए सोच रही थी कलाबाजियां दिखाते हुए तीन फिट के जोकर को जो चेहरे पर निरंतर
Read Moreबिरयानी मुफ्त में बंट रही है, कही शराब कट रही है, शायरी अदांज बिक जाते है लोकतंत्र का मजाक उडा़ते
Read Moreकविता 1: दादी की लाठी दादी की वह लाठी। बन गई बढ़िया साथी। कहीं भी जाती दादी। साथ ले जाती
Read Moreबीते समय की सुख कड़ियाँ चलचित्र सी चित मे चलती है अब दृगजल बन वह मधु स्मृति अनायास नयन से
Read Moreभोर की पहली किरण है , और तुम हो प्रेम से भीगे ये क्षण हैं , और तुम हो ।।
Read Moreयही मेरी शुभकामनाएं ,नव वर्ष बहुत आनन्दित हो । फैला उजास हो खुशियों का ,अरु हृदय सदा प्रसन्नचित हो ।
Read Moreभ्रमर कहे कुसुम के कानों में करती हो तुम हमसे प्रेम निच्छल, पर मैं तो हूं बादल एक आवारा ठहरे
Read More‘पहले बात को तोलो फिर बोलो’ यह बात आम आदमी पार्टी से दरकिनार कर दिए गए कुमार विश्वास पर सही
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