कविता

नेह निमंत्रण

भोर का नेह निमंत्रण
सूरज ने स्वीकार किया
अपने पहले जग मे आने का
भोर को फिर अधिकार दिया
दो पल का मिलन
और सारे दिन की जलन
दोनो ने स्वीकार किया
अलसाई भोर उठ आई
सूरज ने भी ली अंगड़ाई
भोर बनी दुल्हन और
देखो सूरज बना पिया
भोर का नेह निमंत्रण
सूरज ने स्वीकार किया
भोर ने फिर फूलों को बुलवाया
सारा जहाँ मंडप सा सजवाया
भंवरे बाराती बन आये
चिडियों ने भी गीत गाये
सजती संवरती आई पुरवाई
सारी धरती महमहाई
सात घोडों का रथ भी आया
उसमें चढ़ दूल्हा आया
झरने नदिया गीत सुनाते
बाग बगीचे खुश्बू लुटाते
सूरज की लाली ने आकर
भोर को दुल्हन सा तैयार किया
भोर का नेह निमंत्रण
सूरज ने स्वीकार किया
दोनो ने लिए फेरे सात
लेके एक दूजे का हाथों में हाथ
सूरज संग फिर हुई बिदाई
फिर दोनों ने उजाले को
थोड़ा थोड़ा बांट लिया
भोर का नेह निमंत्रण
सूरज ने स्वीकार किया

आरती त्रिपाठी

आरती त्रिपाठी

जिला सीधी मध्यप्रदेश