कविता

यादें

 

पुरानी तस्वीरों में यादों को जिंदा रखते है।
कुछ लोग अभी भी रिश्तों को जिंदा रखते है।।

पुराने किवाड़ों को रोज साफ कर रहे हैं।
कुछ लोग अभी भी रिश्तों को जी रहे है।।

अभी आने ही वाला है मेरे परिवार का कोई,
कुछ लोग अभी भी देहली पर बाट निहार रहे है।

ना जाने वो करता रहता है इंतजार किसका,
अब रिश्ते तो हर पल उससे दूर ही जा रहे है।

आँगन को बुहारती,लीपती वो माँ अब नही है।
पता नही क्यों दूसरे रिश्तों को आजमा रहे है।।

प्रसिद्धि की खातिर लोग अपने गाल बजा रहे है।
खून के रिश्तों को रुपयों की गिनती से अपना रहे है।।

गाँव की मिट्टी पहचानती है आज भी सभी रिश्तों को,
अपने सभी बच्चो के पैरों की आहट वो जानती है।

वृद्ध हो चला बरगद का पेड पहचानता है सबको,
जो बड़े हो गए बच्चे,उनका बचपन यही पर खिला है।।

आँख मूंद कर एतबार करता रहा जो जीवन भर,
उसे तो उसके अपने आँशुओ ने भी उसे छला है।

पुरानी यादें भी अक्सर उन्ही को सताती है।
दिमाग नही,जो दिल को हरबार आजमाते है।।

 

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- neerajtya@yahoo.in एवं neerajtyagi262@gmail.com ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)