कविता

बेटी पढ़ो परिवार पढ़ाओ

बेटी पढ़ो परिवार पढ़ाओ
कर के जतन रोजगार भी पाओ।
शिक्षा के जल से मैल छुड़ाओ
भय और भ्रम का जाल हटाओ।
बेटी पढ़ो परिवार पढ़ाओ।। 1।।

आज उदित है भाग्य तुम्हारा
बरसा रहीं सरकारें सहारा।
जल्दी उठो अब देर न लाओ
पुस्तक में मन-चित्त रमाओ।
बेटी पढ़ो परिवार पढ़ाओ।।2।।

कन्या-धन सरकारें हैं देतीं
पढ़ने का कोई शुल्क न लेतीं।
बाल-विवाह से दूरी बनाओ
सोया हुआ निज भाग्य जगाओ।
बेटी पढ़ो परिवार पढ़ाओ।।3।।

तू जब पढ़ेगी कुल भी पढ़ेगा
तेरे ही कदमों से आगे बढ़ेगा।
दूर हटेगी अशिक्षा गरीबी
सुधरे ये जीवन सुधरें करीबी।।
बेटी पढ़ो परिवार पढ़ाओ।।4।।

दहेज प्रथा का समापन होगा
विद्या-धन ही मापन होगा।
शिक्षा से अपनी महत्ता बढ़ाओ
ज्ञान-दिया हर घर में जलाओ।
बेटी पढ़ो परिवार पढ़ाओ।।5।।

मात-पिता कन्या को जिलाओ
उसकी हसरतों को पंख लगाओ
सुत व सुता का विभेद मिटाओ
कन्या को अपने सुकन्या बनाओ।
बेटी पढ़ो परिवार पढ़ाओ।।6।।

— मोती प्रसाद साहू

मोती प्रसाद साहू

जन्म -1963 वाराणसी एक कविता संग्रह-पहचान क्या है प्रकाशित विभिन्न दैनिक पत्र-पत्रिकाओं ;ई0 पत्रिकाओं में रचनाओं का नियमित प्रकाशन संपर्क 9411703669 राजकीय इण्टर कालेज हवालबाग अल्मोड़ा उ0ख0 263636 ई0 मेल- motiprasadsahu@gmail.com