गीतिका/ग़ज़ल

गजल

वो गजल आनलाइन लिखा करते हैं।
जाने किस नाजनीं से वफा करते हैं।।
कह दो कोई तो जाकर सनम से मेरे।
हम तो बस उनके खातिर मरा करते हैंं।।
कब पढेंगे वो मेरी गजल क्या पता।
हम तो लिख लिख के आहें भरा करते हैं।।
दिल में उनकी ही सूरत बसायी सुनो।
और दीदार उनका किया करते हैं।।
क्यूं मुहब्बत का दुश्मन हुआ ये जहां।
हम तो दिन रात यारा जला करते हैं।।
उड़ने के खौफ से काट देते हैं पर।
क्यूं परिंदे जमीं पे रहा करते हैं।।
तुम जलाओ कोई दीप तो बात है।
यूं तो सारे कसीदे पढ़ा करते हैं।।
प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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