गीत/नवगीत

गीत

इक बनाके ग़ज़ल तुझको हम गाएंगे ।
छोंड़ करके शहर तेरा हम जाएंगे ।।

कर ले दो चार प्यारी मधुर कोई बात ।
फिर ना आऐगी ऐसी सुहानी सी रात ।।
दूर रह के भी नज़दीक हम पाएंगे ।
छोड़ कर के शहर तेरा हम जाएंगे ।।

प्यार मे यूँ बिछड़ना ज़रूरी भी है ।
दूर रह के महकना ज़रूरी भी है ।।
लाख करले तू कोशिश हम याद आएंगे ।
छोड़ कर के शहर तेरा हम जाएंगे ।।

यह परीक्षा तुम्हारी हमारी भी है ।
कितनी मीठी मधुर अपनी यारी भी है ।।
वादा है तेरी महफ़िल मे हम छाएंगे ।
छोड़ कर के शहर तेरा हम जाएंगे ।।

कुछ यूं हीं दूर रहकर भी जीते हैं हम ।
यह जहर भी जुदाई का पीते हैं हम ।।
सब्र कर मिलने के दिन, भी हम लाएंगे ।
छोड़ कर के शहर तेरा हम जाएंगे ।।

क्रांति पांडेय “दीपक्रांति”