कविता

चिंतन

मन में उठी
बयार को
कैसे बताएं हम
कैसे समझाए
अपने मन को
इसी बोझ में
दबे जा रहें हम
क्या होगा?
हमारे आगे
इसी सोच में बैठे
चिंतन से
मन को
समझाए जा
रहे हैं हम

— मनोज बाथरे चीचली

मनोज बाथरे

चीचली (जैन मंदिर के पास) जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश पिनकोड 487770 विगत 20 वर्षो से साहित्य सेवा, तत्कालीन समय में कुछ रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। वर्तमान समय में पुनः साहित्य के क्षेत्र में कुछ योगदान देने की इच्छा जागृत हुई तो सक्रिय हुआ।