क्षणिका

बेचैनी

शराब की दुकानें बंद थीं तो नशेड़ियों के दिन बेचैनी में कट रहे थे
मिठाई की दुकानें बंद हैं तो मिठाईखोरों के दिन बेचैनी में कट रहे हैं
सिगरेट की दुकानें बंद हैं तो सिगरेट-शौकीनों के दिन बेचैनी में कट रहे हैं
लॉकडाउन अडिक्शन को नमस्ते करने का सबसे अछ्हा समय है
अडिक्शन को करिए नमस्ते, तो लॉकडाउन के बाद भी दिन लगेंगे बहुत सस्ते.
अडिक्शन छोड़िए,
बीमारियां आपसे दूर रहेंगी,
काम में मन लगेगा,
नींद अच्छी आएगी,
बेचैनी भाग जाएगी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “बेचैनी

  • लीला तिवानी

    अब शराब की दुकानें खुली हैं, लेकिन जमाखोरी के चलते शराब बहुत महंगी हो गई है, इसलिए नशेड़ियों की बेचैनी और अधिक बढ़ गई है

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