मुक्तक/दोहा

पंकज के मुक्तक

01
आइए   पहले  श्री  गणेश   कीजिए,
छंदों  के  महल  मे   प्रवेश  कीजिए।
अभिनन्दन  शारदे   का   करते  हुए,
नमन  ब्रह्मा- विष्णु  महेश  कीजिए।
02
जब से दर्द से मेरा  गठबंधन हो गया,
प्यार  आसमानी सा अम्बर  हो गया।
जिन्दगी  मे  हर  दिन  घिसते-घिसते,
न जाने कब अचानक चंदन हो गया।
03
जीवन का मेरे बस यही अभिप्राय है,
पीर के गाँव मे प्यार का व्यवसाय है।
मै वहाँ फूल बेचकर  अभी  आया हूँ,
जहाँ मृत्यु पर भी बेदना निरूपाय है।
04                            
प्यार   के  दरबार  मे  धोखा  न  था।
सागर नदी  के बेग  को रोका न  था।
श्मसान मेभी प्रीति की डोली सजेगी,
यह  कभी  प्राणेश  ने  सोचा  न  था।
05
दर्द   की  दरिया  में   डूबकर  देखेगे,
रूप  के  दरबार मे ऊब  कर  देखेगे।
कौन गिरते हुए को  बचाता है पंकज,
हम भी  तेरे  छत  से कूदकर  देखेगे।
06
मौन रहने का अब यही अभिप्राय है,
मीत गीत संग हो गया अब न्याय है।
शब्द-शब्द मे  किया है  वन्दगी तेरी,
गौर से पढ़ लो  यह नया अध्याय है।
07
भविष्य मे ही  वर्तमान  भूत  हो गया,
ऊर्वशी  सा  तेरा  यह  रूप हो  गया।
दुष्यंत को पता नही शकुन्तला काघर
दर्द इतना  बढ़ा कि  मेघदूत हो गया।
08
मेरे  मन   से  आज   तराने   निकले,
सुनते   ही   बहुत    सयाने   निकले।
हमे पलक  झपकते  छोड़  चले  जो,
पंकज   उनके  ही   दीवाने   निकले।
09
आज  बढती  हमारी  प्रबल  आस है,
देखने  रूप  को  आया  मधुमास  है।
फ़ूल  की  गंध  को   विखरा  दो यहाँ,
होठ पर अनबुझी सी अमर प्यास है।
10
प्रेमपथ  का  थका  हुआ  बंजारा  हूँ,
औरो   से  नही  अपनो  से  हारा  हूँ।
लहरों  के   संग – संग  गाता  है   जो,
वही   जग   का  पागल   आवारा हूँ।
11
रखकर नेह नयन मे अंजन बना देना,
घिस-घिस के  हमे  चन्दन बना  देना।
जनम-जनम से बहुत पुराना लोहा हूँ,
छूकर करकमलो से कंचन बना देना।
12
एक सपना  नयन मे  सजा लिजिए,
प्यार पंक्षी को  अपने बचा लिजिए।
गीत मे आज पंकज  कहे और क्या,
सूर्य  को मीत  अपना बना लिजिए।
13
हमसे वह  प्रीति लगाकर चली गयी,
जीवन  का मीत  बनाकर चली गयी।
हरदम बजता ही रहूँ घुंघरू की तरह,
वही प्यारा  गीत  बनाकर चली गयी।
14
अंधेरो की  सिसकी  पर उजाले रो पड़े,
बादलों की हिचकी पर मनाने ओ  चले,
जब भावना  खिल के पंकज होने लगे,
तब जरा पास मे बैठो तो अम्बर हो  चले।
15
उधर चाँदनी छिटक रही है इधर रवि है आज
कबि होना भाग्य है तो प्यार होना सौभाग्य।
मेरे प्यारे नीरज बस एक बार कह जाते तुम,
उधर भरी है शीतल छाया इधर भरी है आग।

— पंकज कुमार शुक्ल ‘प्राणेश’

पंकज कुमार शुक्ल

1.रचनाकार का पूरा नाम-पंकज कुमार शुक्ल 2.माता का नाम-श्रीमती अमरावती शुक्ला 3.पिता का नाम-श्री महातम शुक्ल 4.पत्नी का नाम-श्रीमती पुष्पा शुक्ला 5.स्थाई पता- ग्राम-पुरैना शुक्ल पोस्ट-करायल शुक्ल तहसील-बरहज जनपद-देवरिया उत्तर प्रदेश पिन कोड-274603 6.फ़ोन एव ह्ववाटसप नम्बर:9838789538 7.जन्म तिथि:15- 007-1979 8--शिक्षा- परास्नातक (हिन्दी,प्राचीन इतिहास) दी•उ•वि•वि•गोरखपुर बीएड- दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर साहित्य विशारद- सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी 9.व्यवसाय-शिक्षक,प्रधानाध्यापक, बेसिक शिक्षा परिषद,उत्तर प्रदेश 10.प्रकाशन विवरण-लेखन विधा में कविता,लेख,मोटिवेशनल कोट्स,कहानी,निबंध,समीक्षा,गजल और लघुकथा लिखता हूँ। वर्तमान में लगभग 200 से उपर कविताएँ रचनाएँ अमेरिका यू एस ए,नेपाल,एवं भारत के विभिन्न दैनिक,साप्ताहिक एवं सांध्य समाचार पत्रों और मासिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। ऑनलाइन प्रकाशन-प्रतिलिपि, साहित्यिक पत्रिका साहित्यनामा,शब्द सागर पत्रिका, स्वैच्छिक दुनिया पत्रिका,काब्य रंगोली पत्रिका,भारत माता की जय पत्रिका आदि में विभिन्न रचनाएँ प्रकाशित हैं। 11.सम्मान विवरण- विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा- श्रेष्ठ सृजनकार सम्मान एवं रानी लक्ष्मीबाई मेमोरियल अवार्ड। अटल साहित्य अकादमी द्वारा- अटल काब्य रत्न सम्मान। साहित्य संगम संस्थान द्वारा- श्रेष्ठ टिप्पणीकार सम्मान,श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान और समीक्षाधीश सम्मान विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत द्वारा- साहित्य वट सम्मान,साहित्य गौरव सम्मान। काब्याजलि साहित्यिक समूह भोपाल द्वारा- साहित्य सारथी सम्मान। काब्य रंगोली साहित्य संस्थान द्वारा- साहित्य भूषण सम्मान,साहित्य साधक सम्मान। बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा-बेसिक गौरव सम्मान,उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान। विश्व हिन्दी संस्थान द्वारा- मातृभूमि गौरव सम्मान। सैनिक सेवा परिषद द्वारा-भारत भाल सम्मान। बाबा राघवदास सेवा संस्थान द्वारा- उत्कृष्ट उदघोषक सम्मान,श्रेष्ठ संचालक सम्मान से मुझे सम्मानित किया गया है। एक शिक्षक के रूप में अपना कार्यनिर्वहन करने के साथ ही मैं कई समाजिक और साहित्यिक और शैक्षणिक संस्थानों से सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जुड़ा हूँ।लेखन के क्षेत्र में आने का मेरा मुख्य उद्देश्य समाजिक बुराईयों के प्रति जनजागरण करना,नशा मुक्त समाज बनाना,पर्यावरण संरक्षण करना,राष्ट्र से जुड़ी समस्याओं को मुखरित करना है। आपके प्रतिष्ठित मंच के से जुड़कर और आप सभी यशस्वी मनीषियों से मिलकर मेरे इस उद्देश्य को सही दिशा मिलेगा इसी आशा के साथ आपको अपना जीवन परिचय प्रेषित रहाँ हूँ।आशा है आप अवश्य विचार करेगे।