गीत/नवगीत

सार्थक गीत

सार्थक गीत
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नाम हो सार्थक , काम हो सार्थक
सार्थक हो पहचान
आओ हम सब मिलकर अपना
अपना बढ़ा लें ज्ञान
वाणी मधुरम , विनम्रता ही
हो अपनी पहचान
तुम भी सीखो, मैं भी सीखूँ
ना रखना अभिमान……!
कड़ी कड़ी मिलकर बनती है
अद्भुत एक जंजीर
ज्ञान बढ़ा लें , मान बढ़ा लें
कर लें ये तदबीर
शब्दों से मनचाहा खेलें
है दिल में अरमान
तुम भी सीखो , मैं भी सीखूँ
ना रखना अभिमान ………!
वैर द्वेष को दूर भगाएं
जग को प्रेम का पाठ पढ़ाएं
अमन चैन हो देश में अपने
आओ ऐसा कदम बढ़ाएं
कोई बड़ा ना कोई छोटा
सब हैं एक समान
तुम भी सीखो मैं भी सीखूँ
ना रखना अभिमान ………!

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।