लघुकथा

लघुकथा-प्यार से साक्षात्कार

प्यार मनुष्य की वो भावना है,जो हृदय की अंतरंग गहराइयों से होता है। जो व्यक्ति से व्यक्ति को जोड़कर स्नेह से परिपूर्ण करता है। इसके साथ प्यार(प्रेम) व्यक्ति में सकारात्मक पहलू का भी निर्माण करता है।
मेरा पहले प्यार से साक्षात्कार सेकेंडरी में होता है, इससे पहले प्यार से कभी रूबरू नहीं हुआ। इस साल में मैट्रिक पास कर सेकेंडरी में प्रवेश हुआ था साधारणतः ये मेरे लिए शिक्षा के नवीन आयाम में प्रेम का भी आस्वादन करवाता है मैं एकांत रहना काफी पसंद करता था परंतु मेरे बहुत सारे मित्र थे एक मित्र जो मेरे साथ हमेशा रहा करता था। एक लड़की जो मेरी सहपाठी थी, जो उस विद्यालय में नवीन प्रवेश ली थी पता नहीं मेरे विचारों में उसको देखने के बाद तस्वीर छप गई मैं उससे बात करना चाहता था, पर नहीं कर पाया 1 सप्ताह के बाद शुक्रवार के दिन मूल्यांकन टेस्ट चल रहा था मैंने उससे बात करने के लिए एक प्रश्न का उत्तर पूछा-पहले उसने एकचित होकर मेरी ओर देखा फिर हल्की सी मुस्कुराहट के साथ उसने प्रश्न का उत्तर दिया, फिर से प्रश्नपत्र की ओर एकाग्रचित्त हो गई। अब हर पल उसकी तस्वीर मेरे दिमाग में घूमने लगी।
अब धीरे-धीरे बातें होने लगी, यह सब सेकंडरी के अंत तक चला उसके बाद उसके द्वारा पढ़ाई छोड़ देना और मेरा कॉलेज में प्रवेश करना, सारे सपनों को चूर-चूर कर दिया। परंतु उसके बाद भी बातें होती रही।
इस प्रेम भरे संस्मरण का अंत कॉलेज में प्रवेश के 1 साल बाद हुआ, तब जब उसकी शादी हो गई। परंतु जब भी कभी हमारा आमना सामना होता है तो वह प्रेम भरी नजरों से देखती है। मेरी उससे प्रति हमेशा कामना रही है कि वह खुश रहे। उसकी यादें मेरे उर स्थित है। इस दिव्य मिलन से मैंने कई बातों पर गौर किया,की प्रेम व्यक्ति की भावना है जो हृदय की अंतरंग गहराइयों से अनजान व्यक्ति से व्यक्ति को जोड़कर स्नेह से परिपूर्ण करता है।

नाम-दिनेश प्रजापत
गांव-मुली,जालौर
मोबाइल नं.7231051900

दिनेश प्रजापत

गांव-मूली, जालौर मोबाइल नं.7231051900