हास्य व्यंग्य

संभलिए ! क्योंकि आप कोरोना काल में हैं. !!

क्या फिर लॉकडाउन होने वाला है ? क्या अनलॉक के तहत दी जा रही छूट में कटौती होने जा रही है. कोरोना मुक्ति की देहरी से लौटकर पॉजिटिव मामलों की बढ़ती संख्या के बीच मौत का आंकड़ों में उछाल के साथ ही इन दिनों ऐसे सवाल हर बाजार और गली – मोहल्लो में सुने जाने लगे हैं. कंटेनमेंट जोन को लेकर रोज तरह – तरह की जानकारी सामने आने से आदमी खुद एक सवाल बनता जा रहा है, जिसका जवाब सिर्फ आशंका, अनिश्चितता और अफरा – तफरी के तौर पर मिल रहा है. लोग उन खामियों की वजह ढूंढने की कोशिश में जुटे हैं, जिसके चलते कोराना फ्री होकर जनजीवन स्वाभाविक होने की हसरतों को बार – बार धक्का लग रहा है. छोटे दुकानदार कहते हैं कि कुछ दिनों की छूट से जिंदगी पटरी पर लौटती नजर आने लगी थी. लेकिन वर्तमान परिस्थितियां निराश करने वाली है. क्योंकि अनिश्चितता का अंधियारा फिर घिरने लगा है. पता नहीं आगे क्या होगा. गोलबाजार से ग्वालापाड़ा तक गली – नुक्कड़ – चौराहों पर बहस छिड़ी है. लीजिए वो मोहल्ला भी कंटेनमेंट जोन में आ गया. क्या झमेला है . इस पर अधेड़ की दलील सुनी गई. लोग क्या कम लापरवाह हैं! न मास्क का ख्याल रखते हैं, न सोशल डिस्टेंसिंग का . फिर केस तो बढ़ना ही है. जिले में हालात कमोबेश काबू में है, लेकिन अपने कस्बे में कोरोना पॉजिटिव के केस लगातार बढ़ रहे हैं. चर्चा छिड़ी बड़े सिने सितारों के संक्रमित होने की तो एक बुजुर्ग की अजब ही दलील थी. क्यों मॉस्क – सेनीटाइजर कुछ काम न आया. भैया सीधी सी बात है जिसे बीमारी पकड़नी होगी, पकड़कर रहेगी, फिर कोरोना के बहाने गरीबों को क्यों परेशान करते हो ? एक बड़े चौराहे पर गंजी और बरबुंडा पहने लड़कों की महफिल जमी है. गुटखे का स्वाद लेते हुए एक बोला. क्या हुआ १५ अगस्त तक कोरोना की वैक्सीन आने वाली थी. आखिर उसका क्या हुआ. दूसरे ने जवाब दिया. अरे यार, सब बेकार की बाते हैं. इतनी जल्दी वैक्सीन आनी होती तो फिर इतना झंझट ही क्यों होता. .दलील पर दलीलों के बीच कुछ लड़के बोल उठे. भैया छोड़ो वैक्सीन – फैक्सीन का चक्कर. बचना है तो अपने भीतर इम्यूनिटी बढ़ाओ . सिर्फ सरकार के भरोसे न रहो, कोई इम्यूनिटी बूस्टर अपनाओ . ।। संभलिए ये खड़गपुर है, इसका अहसास भीड़ भाड़ वाली सड़कों पर पुलिस की मौजूदगी से भी होता है. बगैर मॉस्क पहने राहगीरों को पुलिस कर्मी पहले रोकते हैं फिर लापरवाही के लिए फटकारने लगते हैं. इस बीच एक जवान मोबाइल से उनकी तस्वीर उतार लेता है. । कुछ देर बाद चेतावनी देकर पुलिस वाले छोड़ देते हैं । आगे बढ़ने पर पीछे बैठी महिला बाइक सवार से तस्वीर खींचने की वजह पूछती है. जवाब में युवक कहता है. जानो ना. एई टा खोड़ोगोपुर, एई खाने कोरोनार केस बाड़छे. .!! पता नहीं ये फलां शहर है, यहां कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

— तारकेश कुमार ओझा 

*तारकेश कुमार ओझा

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं। तारकेश कुमार ओझा, भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) पिन : 721301 जिला पश्चिम मेदिनीपुर संपर्क : 09434453934 , 9635221463