गीत/नवगीत

कोई दिल में नहीं आता

कोई दिल में नहीं आता ,कोई दिल से नहीं जाता
बड़ी है कशमकश में दिल,समझ में कुछ नहीं आता।
ज़रा सी बात कह दूँ तो, बुरा वो मान जाएंगे
सितम करके भी रूठेंगे, उन्हें हम ही मनाएंगे
बड़ी ज़ालिम है ये दुनिया, कोई इल्ज़ाम दे देगी
सबब ये है कि दरिया आंख से बाहर नहीं आता।
कोई दिल मे नहीं आता, कोई दिल से नहीं जाता
बड़ी है कशमकश में दिल, समझ में कुछ नहीं आता।
बने काफ़िर ज़माने में ख़ुदा माना उन्हें हमने
क़दम उनके नज़र आये कि बस सज़दा किया हमने
कहानी आ गई उस मोड़ पर लेकिन मोहब्बत की
जहां से लौट के वापस कोई रस्ता नहीं जाता
कोई दिल में नहीं आता, कोई दिल से नहीं जाता
बड़ी है कशमकश में दिल, समझ में कुछ नहीं आता
— प्रियंका त्रिवेदी

प्रियंका त्रिवेदी

पाण्डे कॉलोनी बिजवार जिला-छतरपुर(म. प्र.) 471405