हास्य व्यंग्य

‘पेट’ को बहुवचन में क्या कहेंगे ?

पूरा नाम तो कुछ और है, किन्तु यहाँ इतना-सा ही उपनाम से काम चल जाएगा ! सेक्स और पीयर भले ही कहते-फिरे, सॉरी ‘शेक्सपियर’ कि ‘नाम में क्या रखा है?’ परंतु ‘पटेल सर’ से मिलने से लगा…. नाम में ही सबकुछ रखा है।

उन्हें बनाने में कुदरत ने अति जटिलता दिखा दी है, उनके व्यक्तित्व की चमक उनके पेटों पर जरूर दिखता है ! सॉरी, पेट तो एक ही होता है, इसे ‘बहुवचन’ में कहने का आशय यह है कि सर का पेट में कई पेट समा जाय! दरअसल, जब सर कुछ कहते हैं, अरे कहना क्या, बकते हैं, तो उनका बायाँ हाथ उनके गुब्बारे जैसे उभरे पेट पर हमेशा ही नाचते रहता।

सभी को लगता है, यह हाथ उनके सोने पर ही रूकते होंगे ! उनकी बातों में हमेशा ही लच्छेदार शब्दों का प्रयोग होते हैं, क्योंकि उन्हें राजनीति में अत्यंत रुचि है, लेकिन वे math पढ़ाते हैं और 50 की उम्र में भी वह यंग दिखते हैं, बशर्त्ते, उनके चार-चार पेट को छाँटकर हटा दी जाय !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.