कविता

श्रमजीवी औरतें

कालीनों पर नहीं चलती ये औरतें
नरम गद्दो पर नहीं सोती ये औरते
कंकरीले पथ पर चलती हैं
इमारतें यूं ही नहीं बनतीं
पसीने की बूंदों से सींची जाती हैं
रोटी की खातिर नमक बहाती औरतें
सिर पर ईंटें ढोती हैं
चूल्हा जलाने की फ़िक्र
हर  दिन ही  होती है
यौवन को धूप में तपाती
कब लोहे से रंग में बदल जाती है
शाम ढले तक मुस्कुराती रहती है
कठिन श्रम कर रात में गीत गाती हैं
— अर्विना गहलोत

अर्विना गहलोत

जन्मतिथि-1969 पता D9 सृजन विहार एनटीपीसी मेजा पोस्ट कोडहर जिला प्रयागराज पिनकोड 212301 शिक्षा-एम एस सी वनस्पति विज्ञान वैद्य विशारद सामाजिक क्षेत्र- वेलफेयर विधा -स्वतंत्र मोबाइल/व्हाट्स ऐप - 9958312905 ashisharpit01@gmail.com प्रकाशन-दी कोर ,क्राइम आप नेशन, घरौंदा, साहित्य समीर प्रेरणा अंशु साहित्य समीर नई सदी की धमक , दृष्टी, शैल पुत्र ,परिदै बोलते है भाषा सहोदरी महिला विशेषांक, संगिनी, अनूभूती ,, सेतु अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समाचार पत्र हरिभूमि ,समज्ञा डाटला ,ट्र टाईम्स दिन प्रतिदिन, सुबह सवेरे, साश्वत सृजन,लोक जंग अंतरा शब्द शक्ति, खबर वाहक ,गहमरी अचिंत्य साहित्य डेली मेट्रो वर्तमान अंकुर नोएडा, अमर उजाला डीएनस दैनिक न्याय सेतु