कविता

हाथरस और बलरामपुर : दर्द एक चश्मे अलग

राजनीति, जातिवाद करने हर कोई वहां गया,
इंतजार करती रही माँ मेरे घर कोई क्यों नही आया ?
क्यों एक तरफ उन्माद मचा हुआ है, लाल टोपी, नीला दुपट्टा सब कोई खड़ा हुआ है।
मेरी बेटी के लिए केवल कुछ हिन्दूवादी ही क्यों आते है ?
माइक कैमरे मीडया वाले, खामोश क्यों हो जाते है ?
टीआरपी ने मानवता की धुरी को तार तार किया,
दुराचारी के साथ साथ मौका परस्तों ने भी अत्याचार किया।
प्रशासन ने सुनवाई नही की, और भी अन्याय हुआ,
इसीलिए हर अधिकारी का बोरिया बिस्तर तैयार हुआ।।
योगी जी ने फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट, SIT CBI को पारी दी,
पुलिस को फटकार लगाकर न्याय धर्म की जिम्मेदारी की।
देश को झकझोरा दोनों ही घटनाओं ने,
पर बहते आसुओं को राजनीति ने अलग चश्मों से देखा है।।
एक को अवसर माना दूसरे को नकारा है,
एक में वोटबैंक दिखा दूसरे में मौन को अपनाया है।
जातिवाद की आग लगाने वाले भी एक ही अवसर ढूंढे है,
दूसरे दर्द को जातिवादी मीम के कारण भूले है।।
न धर्म देखिए, न जाति देखिए,
स्पष्ट रूप से न्याय और फर्ज को देखिए।
दुष्टों के साथ कोई समझौता न हो,
साथ ही घटनाओं का तुष्टिकरण भी ना हो।।
अब कमर कसी हर हिन्दूस्तानी ने,
हर दुराचारी को सूली पर टाँगेगी दुनिया।
ऐसे मौकों पर भी तुष्टिकरण, जातिवाद, राजनीति,
करने वालों को जूते मारेगी दुनिया।।
— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश