कविता

हम तुम साथ निभाएंगे

प्रकृति की व्यवस्था के अनुसार
हम एक हो गये हैं,
जीवन के बंधन में बंध गये हैं।
तो हम भी अपने कर्तव्य
बखूबी निभाएंगे,
हम तुम साथ निभाएंगे।
जीवन के इस डगर पर
चाहे जैसे मार्ग हों
कठिन हो या आसान हों,
न साथ तेरा छोड़ेंगे
न ही हाथ छुड़ायेंगे,
जीवन की हर परिस्थिति में
बस मिलकर बढ़ते जायेंगे।
तुम रीझती रहना यूँ ही
हम भी रिझायेंगे,मुस्करायेंगे,
आपस में मिल जुल कर
सारे सुख दुःख उठायेंगे,
हम तुम साथ निभायेंगे
आगे बढ़ते ही जायेंगे।

✍ सुधीर श्रीवास्तव

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921