कविता

छठ व्रत करते हैं

छठ व्रत करते हैं
हे! सूर्य देव
प्राणों के वेग
हम प्रणाम करते हैं
छठ व्रत करते है।
जीवन को तुम ही,
प्रकाशित करते हो।
चर -अचर जीवन का,
तुम ही संचालन करते हो।
जीवन को,
ज्ञान और आशा से,
परिभाषित करते हो।
नित उठ हम आपका
वंदन करते है।
आभार व्यक्त करते हैं
तुम्हें प्रणाम करते हैं
छठ व्रत करते हैं
उर्जा का तुम स्रोत
किरणों से ,
जगत को करते ओतप्रोत।
नित -नित हम
वंदन करते हैं
हम छठ व्रत करने हैं
रहे तुम्हारा आशीर्वाद
यहीं शुभ मंगल गान करते हैं
— प्रीति शर्मा “असीम”

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- aditichinu80@gmail.com