बोधकथा

प्रतिबद्ध स्वतंत्रता सेनानी

सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के मध्यकालीन दौर में बहरे अंग्रेज को अपनी स्वतंत्रता हेतु प्रतिबद्धता लिए तब संसद को गर्जन यन्त्र से गुलाम भारतीयों की ओर से अपनी गर्जना सुनाये थे।

लाहौर में इन तीनों को 23 मार्च 1931 को फाँसी हुई थी । तब भारत में बड़े से बड़े वकील थे, परंतु किसी ने तीनों की पैरवी नहीं किये।

ये तीनों में एक पंजाब, तो दूजे -तीजे महाराष्ट्र और बिहार -संयुक्त प्रांत (U.P.) के प्रतीकार्थ भी थे। तीनों शहीदेआजम में भगत सिंह नास्तिक थे, तो सुखदेव, राजगुरु धर्मभीरु ! हमारी साँसे उनके भी कारण चल रही हैं।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.