सामाजिक

महँगे वकीलों से आम-आदमी क्या उम्मीद पाले ?

कीलों (अधिवक्ताओं) के भी ‘फीस’ हो निर्धारित ! जनसाधारण से लेकर वीआईपी तक SDO कोर्ट से लेकर सर्वोच्च न्यायालय में न्याय की आश में पहुँचते हैं,जहाँ रसूखदार लोग तो मेरिटवाले-वकील को उच्च फीस चुकताकर उसे अपने पैरवी के लिए नियुक्त कर लेते हैं ।

….परंतु कानूनी-जानकारी नहीं होने के कारण साधारण लोग शीघ्र न्याय पाने की लालसा में ऐसे वकील के फीस तभी भर पाते हैं, जब जमीन या घर या औरतों के गहने गिरवी रखते हैं या बेचते हैं । इसपर भी केस जीत ही जाएंगे, ऐसी कोई गारंटी नहीं रहती !

….हालाँकि गरीब-मुवक्किल के लिए संविधान ने उनके लिए मुफ़्त वकील की व्यवस्था किया है, किन्तु ऐसे पैरवीकार-अधिवक्ता की कानूनी जानकारी अल्प ही रहती है । मैंने विविध कोर्टों के वकीलों के फीस-निर्धारण को लेकर ‘बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया’ को पत्र लिखा, किन्तु फाइनल-जवाब अबतक पेंडिंग है । भारत के विधि मंत्री रहे राम जेठमलानी भी एक बहस के लिए ₹5 लाख से ऊपर लेते हैं, तो दूजे की बात करना ही बेमानी है।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.