कविता

ईश वंदना

क्या मांगू अब
तुझसे हे करतार
तू है दीनदयाल
मेरी जरूरत का
सब कुछ दे दिया
नाहक करू
कुछ मांग के
तुझको मैं परेशान
जो देना है
दे दे रब मर्जी है तेरी
मुझको तो मालूम नहीं
जरूरत है क्या मेरी
तू पालनहार
तू ही जानें
क्या तुझको है देना

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020