कवितापद्य साहित्य

समय चक्र अविरल चलता है

जो जन्मा है, वह मरता है।

समय चक्र अविरल चलता है।

किसी के लिए पथ, ना रूकता।

काली घटा से, सूर्य न झुकता।

चलते रहना ही जीवन है,

मृत्यु चक्र भी कभी न रूकता।

रूकता है, जो वह मरता है।

समय चक्र अविरल चलता है।

जिंदा दिली का नाम है जीवन।

खुलकर हँसना, है संजीवन।

खुलकर, मिलकर, हिलकर रहना,

प्रेम का एक पैगाम है जीवन।

प्रकृति में सब कुछ हिलता है।

समय चक्र अविरल चलता है।

जो आया है, उसको जाना।

फिर भी पथ में मित्र बनाना।

स्वीकार का भाव हो उर में,

लगेगा सब जाना पहचाना।

कर्म के बल पर जग पलता है।

समय चक्र अविरल चलता है।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)