गीत/नवगीत

प्रेम प्रभु का वरदान है

प्रेम मन की आशा है,
करता दूर निराशा है,
चन्द शब्दों में कहें तो,
प्रेम जीवन की परिभाषा है.

प्रेम से ही सुमन महकते हैं,
प्रेम से ही पक्षी चहकते हैं,
चन्द शब्दों में कहें तो,
प्रेम से ही सूरज-चांद-तारे चमकते हैं.

प्रेम शीतल-मंद-सुवासित बयार है,
ऋतुओं में बसंत बहार है,
चन्द शब्दों में कहें तो,
प्रेम आनंद का आधार है.

प्रेम हमारी आन है,
प्रेम देश की शान है,
चन्द शब्दों में कहें तो,
प्रेम प्रभु का वरदान है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244